बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान : लोक प्रशासन
प्रश्न- अनौपचारिक संगठन से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर -
अनौपचारिक संगठन
अनौपचारिक संगठन प्रायः सामाजिक-मनोवैज्ञानिक संगठन एवं मानवतावादी संगठन होते हैं। अनौपचारिक संगठन से अभिप्राय उन व्यक्तिगत तथा सामाजिक सम्बन्धों से है जो व्यक्तियों के एक-दूसरे के साथ संगठित होते हैं तथा स्वतः उदय होते हैं। संगठन के अनौपचारिक रूप के प्रमुख प्रवर्तक एल्टन मेयो एवं उनके सहयोगी रहे हैं। उन्होंने वेस्टर्न इलेक्ट्रिक कम्पनी के हाथोर्न संयंत्र के सम्बन्ध में प्रयोग करके यह निष्कर्ष निकाला कि जब कुछ व्यक्ति दीर्घकाल तक मिल-जुलकर कार्य करते हैं, तो उनमें भावनात्मक एवं वैयक्तिक सम्बन्ध विकसित हो जाते हैं। यही अनौपचारिक सम्बन्ध कहलाते हैं। अनुभव के आधार पर भी यह सिद्ध हो जाता है कि प्रत्येक संगठन में प्रायः लोग औपचारिक सीमाओं से निकलकर अनौपचारिक सामाजिक संगठन का निर्माण करते हैं। संक्षेप में कहा जा सकता है कि अनौपचारिक सम्बन्ध ऐसे कार्यात्मक सम्बन्ध हैं जोकि एक लम्बे समय तक साथ कार्य करने वालों की पारस्परिक अन्तः क्रियाओं के परिणामस्वरूप विकसित होते हैं।
कीथ डेविस के अनुसार -"यह व्यक्तिगत एवं सामाजिक सम्बन्धों का ऐसा जाल है जिसे स्थापित करने के लिए किसी औपचारिक संगठन की आवश्यकता नही पड़ती है।"
जोसेफ एल. मैसी के अनुसार - "अनौपचारिक संगठन मानवीय अन्तरक्रियाओं का वह समूह है जो लम्बे समय तक साथ रहने के कारण स्वाभाविक रूप में उत्पन्न हो जाता है।'
अर्ल पी. स्ट्रांग के अनुसार - "अनौपचारिक संगठन वह सामाजिक ढाँचा है, जिसका निर्माण व्यक्तिगत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया जाता है।"
चेस्टर बर्नार्ड के अनुसार - "व्यक्ति को सामाजिक सम्बन्धों में व्यक्तिगत सुख मिलता है। इसे एकता, सामाजिक अखण्डता या सामाजिक सुरक्षा कहते हैं। अनौपचारिक संगठन में व्यक्ति अपनी प्रकट एवं छुपी हुयी दोनों ही प्रकार की क्षमताओं को अधिक सामने लाता है।'
अनौपचारिक संगठन व्यक्तियों के मध्य स्वतः सम्बन्ध स्थापित होने से बनने वाले अस्थायी संगठन होते हैं। अनौपचारिक संगठनों को प्रायः औपचारिक संगठन की परछाई (Shadow) या प्रतिबिम्ब भी कहा जाता है।
(1) स्वतः निर्माण - अनौपचारिक संगठनों का निर्माण स्वतः हो जाता है। अर्थात इन संगठनों के सदस्य आपसी सहयोग से एक समूह बना लेते हैं। औपचारिक संगठन की भाँति चेतनापूर्वक तथा विधिवत् प्रयास नहीं किया जाता है। हाँ, यह अवश्य हो सकता है कि कुछ व्यक्तियों के मन में समूह बनाने की इच्छा रही हो, किन्तु निर्माण का तरीका औपचारिक संगठन से भिन्न होता है। इसका निर्माण मानवीय, सांस्कृतिक, सामाजिक तथा कल्याणकारी आधारों पर होता है तथा प्रायः अस्थायी प्रकृति रहती है।
(2) समान समानताएँ - अनौपचारिक संगठनों की मान्यताएँ समाजवादी प्रकृति की होती हैं। इन संगठनों के सदस्यों के सोचने-समझने का तरीका एक सा रहता है। लगातार सम्पर्क तथा परस्पर सम्बन्धों के कारण समानता आ जाती है। इन संगठनों की मान्यताएँ सभी सदस्य सहजता से स्वीकारते हैं। अत उसका प्रसार होता रहता है।
(3) अनौपचारिक नियम - अनौपचारिक संगठनों का कोई कानूनी आधार नहीं होता है और न ही औपचारिक संगठनों की भाँति नियम प्रक्रिया एवं व्यवस्था निश्चित की जाती है। फिर भी प्रत्येक अनौपचारिक संगठन की अपनी एक मान्यता तथा कार्यप्रणाली होती है। यदि कोई सदस्य उसका उल्लंघन करता है तो उसे अन्य साथियों का सामाजिक एवं नैतिक दबाव सहना पड़ता है। आवश्यकतानुसार नियम बदल लिये जाते हैं। किसी प्रकार का ढाँचा या संरचना नहीं होती है।
(4) नेतृत्व की विशिष्ट शैली - इन संगठनों के सदस्य अपने समूह के नेता को पर्याप्त सम्मान देते देते हैं। क्योंकि वह (नेता) परिस्थिति की देन होता है तथा परिस्थिति के अनुसार ही नेतृत्व एवं उसकी अवधि निर्धारित होती है। इन संगठनों के सदस्य अपने नेता में उसके गुणों एवं विश्वास के कारण आस्था रखते हैं। जबकि औपचारिक संगठन के सदस्य अपने नेता का सम्मान उसके पद तथा अधिकारों के कारण करते हैं।
(5) सामूहिकता - अनौपचारिक संगठनों में सहकारिता, एकता तथा सामूहिकता का नियम पाया जाता है। इन संगठनों में अनावश्यक कानूनी उलझने नहीं वरन् समयानुसार एवं आवश्यकतानुसार विधियाँ, आदर्श तथा मापदण्ड निर्धारित किए जाते हैं। पदसोपान तथा अधिकार दायित्व की व्यवस्था नहीं होती है. वरन् सभी सदस्य मिलकर कार्य सम्पादित करते हैं। अनौपचारिक संगठन प्रबन्ध के प्रत्येक स्तर पर पाये जाते हैं। अतः इन्हे अनौपचारिक संगठन का क्षेत्रीय भाग कहा जाता है। लिंग, भाषा, जाति, धर्म, शिक्षा, आयु, सम्प्रदाय, बोली, नस्ल, क्षेत्र तथा रुचियों के अतिरिक्त प्रायः अनौपचारिक संगठन में पद स्थिति के आधार पर भी अनौपचारिक संगठन बनते हैं।
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- प्रश्न- 'लोक प्रशासन' के अर्थ और परिभाषाओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोकतांत्रिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रशासन' शब्द का प्रयोग सामान्य रूप से किन प्रमुख अर्थों में किया जाता है?
- प्रश्न- "लोक प्रशासन एक नीति विज्ञान है" यह किन आधारों पर कहा जा सकता है?
- प्रश्न- लोक प्रशासन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- प्रशासन के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र का 'पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण' की व्यख्या कीजिये।
- प्रश्न- लोक प्रशासन को विज्ञान न मानने के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- एक अच्छे प्रशासन के गुण बताइए।
- प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की चुनौतियाँ बताइये।
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- प्रश्न- शासन एवम् प्रशासन में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- अनुशासन से क्या तात्पर्य है? लोक प्रशासन में अनुशासन के महत्व को दर्शाइए।
- प्रश्न- भारत में लोक सेवकों के आचरण को अनुशासित बनाने के लिए किए गए प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- "अनुशासन में गिरावट लोक प्रशासन के लिए चुनौती" इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
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- प्रश्न- लोक प्रशासन की तुलना में निजी प्रशासन में राजनीतिकरण की सम्भावनाएँ न्यूनतम हैं, कैसे?-
- प्रश्न- निजी प्रशासन के दो प्रमुख लाभ बताइए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के महत्व पर विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक राज्यों में लोक प्रशासन के विभिन्न रूपों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन का अर्थ स्पष्ट करते हुए, इसके आधारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के आधारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए। औपचारिक संगठन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- औपचारिक संगठन की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- अनौपचारिक संगठन से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संगठन के यान्त्रिक अथवा शास्त्रीय दृष्टिकोण (उपागम) को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पदसोपान प्रणाली के गुण व दोष बताते हुए इसका मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के आदेश की एकता सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आदेश की एकता सिद्धान्त के गुण बताते हुए इसकी समालोचनाओं पर भी प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'प्रत्यायोजन' से आप क्या समझते हैं? प्रत्यायोजन को परिभाषित करते हुए इसकी आवश्यकता एवं महत्व को बताइए।
- प्रश्न- प्रत्यायोजन के विभिन्न सिद्धान्तों एवं प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के सिद्धान्तों के विशेष सन्दर्भ में प्रशासन को लूथर गुलिक एवं लिंडल उर्विक के योगदान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र में एल्टन मेयो द्वारा प्रस्तुत मानव सम्बन्ध उपागम पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हरबर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सम्बन्धी मॉडल की व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- नौकरशाही का अर्थ बताइये और परिभाषाएँ दीजिए।
- प्रश्न- नौकरशाही की विशेषताएँ अथवा लक्षणों को बताइये।
- प्रश्न- निर्णयन का क्या अर्थ है? प्रशासन में निर्णयन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हेनरी फेयाफल द्वारा उल्लिखित किये गये संगठन के सिद्धान्तों को बताइए।
- प्रश्न- 'गेंगप्लांक' पर टिप्पणी कीजिये।
- प्रश्न- हरबर्ट साइमन द्वारा 'प्रशासन की कहावत' किन्हें कहा गया है और क्यों?
- प्रश्न- ऐल्टन मेयो को मानव सम्बन्ध उपागम के प्रवर्तकों में शामिल किया जाता है, क्यों?
- प्रश्न- निर्णयन के अवसरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निर्णयन के लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रतिबद्ध नौकरशाही की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण का आशय स्पष्ट कीजिए। सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सूत्र या पंक्ति अभिकरण से क्या आशय है एवं सूत्र (लाइन) या पंक्ति अभिकरणों की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रशासन में स्टाफ अभिकरण के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्टाफ अभिकरणों के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्टाफ अभिकरण के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सहायक अभिकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं स्टाफ अभिकरण से इनकी भिन्नता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मुख्य प्रशासक की प्रशासन में क्या स्थिति है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बजट से आप क्या समझते हैं? इसे परिभाषित कीजिए। भारत में बजट कैसे तैयार किया जाता है?
- प्रश्न- बजट किसे कहते है? एक स्वस्थ बजट के महत्वपूर्ण सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- भारत में केन्द्रीय बजट का निर्माण किस प्रकार होता है?
- प्रश्न- वित्त विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बजट का महत्व बताइए।
- प्रश्न- भारत में बजट के क्रियान्वयन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बजट के कार्य बताइये।
- प्रश्न- बजट के प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- वित्त आयोग के कार्य बताइए।
- प्रश्न- योजना आयोग का प्रशासनिक ढाँचा क्या है?
- प्रश्न- शून्य आधारित बजट का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? नवीन लोक प्रशासन के उदय के कारण बताते हुए इसकी दार्शनिक पृष्ठभूमि का वर्णन कीजिए तथा नवीन लोक प्रशासन एवं दार्शनिक पृष्ठभूमि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए इसके लक्षणों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रबन्ध के अभ्युदय कैसे हुआ? नवीन लोक प्रबन्ध की मुख्य विशेषताएँ बताते हुए इसके अंतर्गत सरकार की भूमिका में आए बदलावों पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के प्रमुख तत्व कौन से हैं?
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- प्रश्न- प्रशासकीय कानून का क्या अर्थ है? प्रशासकीय कानून के विकास के प्रमुख कारण बतलाइए।
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- प्रश्न- भारत में जन शिकायतों के निस्तारण हेतु ओम्बड्समैन की स्थापना हेतु किए गए प्रयासों की विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- लोक प्रशासन के संरचनात्मक कार्यात्मक उपागम की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के पारिस्थितिकी उपागम का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- भारत में सुशासन की स्थापना हेतु किये गये प्रयासों पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- विकास प्रशासन से आप क्या समझते हैं? विकास प्रशासन के विभिन्न सन्दर्भों का उल्लेख करें।
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- प्रश्न- विकास प्रशासन के विभिन्न तत्वों की विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- विकास प्रशासन के सामान्य अभिप्राय के सम्बन्ध में प्रमुख विवादों (भ्रमों) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- विकास प्रशासन के 'स्थानिक आयाम' को समझाइए।
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- प्रश्न- राजनीतिक और स्थायी कार्यपालिका से आप क्या समझते हैं और उनके मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय प्रशासन के विकास का विश्लेषणात्मक वर्णन कीजिए।
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